नमस्ते, मेरा नाम रेखा है।
मैं सपने देखने और उन्हें पूरा करने का साहस रखती हूँ।
सपने वह नहीं होते जिन्हे हम सोते हुए बंद आँखों से देखते हैं। सपने वे होते हैं जो हम दिन में खुली आँखों से देखते हैं।
क्या आप जानना चाहती हैं कैसे?
मैं सपने देखने और उन्हें पूरा करने का साहस रखती हूँ।
सपने वह नहीं होते जिन्हे हम सोते हुए बंद आँखों से देखते हैं। सपने वे होते हैं जो हम दिन में खुली आँखों से देखते हैं।
क्या आप जानना चाहती हैं कैसे?
इस फिल्म में शाहिद कपूर कई लोगों से बिज़नेस करने के लिए क़र्ज़ लेते हैं। कई कोशिशों के बाद भी उन्हें सफलता नहीं मिलती। क़र्ज़ वापस न मिलने पर सारे कर्ज़दार उनका और उनके परिवार का मज़ाक बनाने लगते हैं। तब वह मरने का नाटक कर बीमा के पैसों से क़र्ज़ लौटाने और अपने परिवार की मदद करने की कोशिश करता है। पर उसमे भी नाकामियाब हो पकड़ा जाता है।
सीख – आपको हमेंशा क़र्ज़ लौटाने की अवधि और ब्याज की सारी जानकारी जानने के बाद ही उसे लेना चाहिए। अगर लौटाने में दिक्कत हो या धोखाधड़ी का सामना करना पड़े तो मदद लेकर ही कदम उठाना चाहिए।
इस फिल्म में मुख्या किरदार शादी के लिए साहूकार से क़र्ज़ लेती है। क़र्ज़ की शर्ते गुमराह होने के कारण उसकी ज़मीन और ब्याज पंचायत की मोहताज हो जाती हैं। पंचायत उन्हें अपनी उपज का तीन चौथाई हिस्सा ₹500 के क़र्ज़ के ब्याज की किश्त के तौर पर देने का निर्णय करती है।
सीख – हमेंशा अपने क़र्ज़ की सारी जानकारियां जैसे ब्याज दर, किश्तों की अवधि, और नियम और शर्तों को ठीक से समझकर ही क़र्ज़ लें। कोशिश करें की बैंक से ही क़र्ज़ ले क्योंकि यह सारे नियम उनके लिए सरकार तय करती है।
एक चालाक और निर्दय साहूकार अपने स्वार्थ के लिए क़र्ज़ देता है। उसे लौटाने के लिए वह केवल एक दिन का समय देता है ताकि बदले में उनकी ज़मीन हड़प सके। मुख्या किरदार केवल ₹65 का क़र्ज़ लेते हैं लेकिन साहूकार इसके बदले एक बड़ी रकम लिख देता है। अब किरदार के पास उस रकम को लौटाने के लिए केवल 3 महीनो का समय होता है। उसके पास क़र्ज़ चुकाने के सिवाए कोई और रास्ता नहीं बचता।
सीख – क़र्ज़ के दस्तावेज़ों को ध्यान से पढ़ें। कितना क़र्ज़ है, ब्याज कितना है और लौटाने की अवधि तथा गिरवी रखी संपत्ति की जानकारी पढ़े बिना क़र्ज़ न लें। याद रखें ब्याज की रकम कभी भी क़र्ज़ की रकम से अधिक नहीं हो सकती।