यह कॉमेडी फिल्म राजू, श्याम और बाबू भैया (अक्षय कुमा, सुनील शेट्टी और परेश रावल) के पैसे से ठगे जाने के इर्द-गिर्द घूमती है। वे एक घोटाला योजना में पैसा लगाते हैं जो 21 दिनों में उनके पैसे को दोगुना करने का दावा करती है और जैसे की होता है इन झूटी योजनाओं में – तीनो अपना सारा पैसा खो देते है
शिक्षा : हालांकि फिल्म का सुखद अंत होता है परन्तु हमारा जीवन एक फिल्म नहीं है और हमें सावधान रहना चाहिए कि हम कहाँ निवेश कर रहे हैं। और अगर हमें पता चलता है कि हमें धोखा दिया जा रहा है, तो हमें अधिकारियों से शिकायत करनी चाहिए और वे हमारे पैसे वापस पाने में हमारी मदद करेंगे।
नरगिस दत्त द्वारा निभाई गई “मदर इंडिया” की सभी परेशानियों का कारण एक कर्ज़ा होता है जो उनकी शादी के लिए था। कर्ज़े का ब्याज फसल का एक-चौथाई मौखिक रूप से तय होता है लेकिन साहूकार उससे तीन-चौथाई हिस्सा लेता है। ग्राम पंचायत साहूकार के पक्ष में फैसला करती है, जिससे कर्जदार असहाय हो जाता है और उसे चुकाने के लिए एक बड़ा कर्ज होता है।
शिक्षा: फिल्म के पात्रों की तरह मत बनना। यदि साहूकार द्वारा हमारे साथ अन्याय किया जाता है या धोखा दिया जाता है, तो हम एक शिकायत कर सकते हैं और हमारी समस्या का समाधान किया जाएगा। हमारी समस्याओं का समादन कानून में है और हमे उनका फायदा उठाना चाहिए
असल जिंदगी का ये घोटाला किसी फिल्मी साजिश से कम नहीं है। एक कंपनी ने निवेश पर भारी फायदे का वादा करते हुए एक योजना चलाई।
लाखों लोगों, मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के कम आमदनी वाले लोगों ने निवेश किया और कंपनी ने करोड़ों रुपये जमा किए। और सारे पैसे लेके फ़रार हो गए। बाद में एक जांच कमेटी की स्थापना की और निवेशकों को पैसा वापस कर दिया गया और कंपनी को बंद कर दिया गया
शिक्षा: ‘मुफ्त’ की स्कीम से मिल ना जाए मुफ्त की मुसीबतें!
शिकायत निवारण विभाग के कारण 4 लाख से अधिक लोगों को उनके पैसे वापस मिलने से न्याय मिला। हमें अपने वित्तीय मुद्दों का समाधान पाने के लिए सही सरकारी विभाग में शिकायत करनी चाहिए।